Ramzan Ke Maheene Ki Fazilat – रमज़ान की फ़ज़ीलत इन हिंदी

Ramzan Ke Maheene Ki Fazilat :- आज हर मुस्लमान जानना चाहता है, क्यूंकि रमज़ान के महीने की मुबारक शुरुआत हो चुकी है: और यह बच्चा-बच्चा जानता है” कि रमज़ान इस्लाम में सब महीनों में सबसे अफजल महीना है।

रमज़ान का महिना अल्लाह ने सबसे बेहतर बनाया है, इस महीने अल्लाह अपनी रहमतें दुनिया पर सबसे ज्यादा नाज़ील करता है। और अपने बंदों को इबादत करते देख उनसे खुश और राज़ी होता है।


रमज़ान की फजीलत की खास वजह | Ramzan Ke Maheene Ki Fazilat

1 रमज़ान के महीने में ही क़ुरआन करीम नज़िल हुवा

2 यही महीने में रोज़े आते हें जो के फ़र्ज़ है

3 रोज़ों से बंदों के अंदर तक़वा पैदा होता है

4 हदीस में आता हे की रमज़ान के महीने में जन्नत के दरवाज़े खोल दिए जाते है

5 और जहन्न के दरवाज़े बंद कर दिए जाते है

6 सरकश शयातीन को जंजीरों में जकड़ दिया जाता है

7 एतेकाफ़ जैसा बड़ा अमल

8 शबे क़द्र की रातें

9 बंदों को अल्लाह की तरफ़ से मगफ़िरत मिलना

10 अल्लाह तआला हर इफ़तार के वक़्त कुछ लोगों को जहन्न    से आज़ाद करता हे और ये (रमज़ान की) हर रात को होता हे (इब्ने माजा 1643)

रोज़े का अज्र अल्लाह तआला खुद अता करेगा

रोज़ेदार के लिए खास दरवाज़ा जिस से वो जन्नत में जाएंगे

रोज़ा को जहन्नम से ढाल बताया गया है

इन सारी और कई चीजों के कारण रमज़ान की बड़ी फ़ज़ीलत है

माहे रमज़ान मैं इंतकाल

उम्मुल मुअ्मिनीन सय्यि-दतुना आइशा सि़द्दीक़ा रजि से रिवायत है, हुज़ूरे अकरम (SAW) फरमाते हैं।“जिस का रोज़े की ह़ालत में इन्तिक़ाल हुआ अल्लाह उस को कि़यामत तक के रोज़ों का स़वाब अ़त़ा फ़रमाता है।

” (अल फि़रदौस बिमअूसरिल खि़त़ाब, जिल्द:3, स़-फ़ह़ा:504, ह़दीस़:5557)

रोज़ादार किस क़दर नस़ीबदार है कि अगर रोज़़े की ह़ालत में मौत से हम-कनार हुआ तो कि़यामत तक के रोज़़ों के स़वाब का ह़क़दार क़रार पाएगा।


Ramzan में जन्नत  कौन सजाता है ?

मुफस्सिरे शहीर हकीमुल उम्मत हज़रते मुफ्ती अहमद यार ख़ान हदीसे पाक के इस हिस्से ” बेशक जन्नत साल के शुरुआत से अगले साल तक Ramzan के लिये सजाई जाती है ” के तहत मिरआत जिल्द 3 सफ़हा 142 ता 143 पर फ़रमाते हैं ।

या’नी ईदुल फित्र का चांद नज़र आते ही” अगले रमज़ान के लिये जन्नत की आरास्तगी ( यानी सजावट ) शुरू हो जाती है और साल भर तक फ़रिश्ते इसे सजाते रहते हैं: जन्नत खुद सजी सजाई फिर और भी ज़ियादा सजाई जाए” फिर सजाने वाले फ़रिश्ते हों” तो कैसी सजाई जाती होगी इस की सजावट हमारे वमो गुमान से वरा है” बाज़ मुसल्मान रमज़ान में मस्जिदें सजाते हैं , वहां कलई चूना करते हैं झन्डियां लगाते हैं रोशनी करते हैं इन की अस्ल ये ही हदीस है। इस तरह बहुत सी हदीसे और बाते हैं जो रमजान के महीने में होता हैं।


 रमज़ान के महीने का सवाब

माहे रमज़ानुल मुबारक में नेकियों का अज्र बहुत बढ़ जाता है लिहाज़ा कोशिश कर के ज्‍़यादा से ज्‍़यादा नेकियां इस माह में जमा कर लेनी चाहियें। चुनान्चे ह़ज़रते सय्यिदुना इब्राहीम नख़्इ़र् फ़रमाते हैं: माहे रमज़ान में एक दिन का रोज़ा रखना एक हज़ार दिन के रोज़ों से अफ़्ज़ल है और माहे रमज़ान में एक मरतबा तस्बीह़ करना (यानी कहना) इस माह के इ़लावा एक हज़ार मरतबा तस्बीह़ करने “यानी” कहने से अफ़्ज़ल है और माहे रमज़ान में एक रक्अ़त पढ़ना गै़रे रमज़ान की एक हज़ार रक्अ़तों से अफ़्ज़ल है।


रमज़ान के महीने की हदीस

हदीसों में आता है, हुजूर अकरम (SAW) ने इरशाद फरमाया है कि अगर लोगों को यह मालूम हो जाए की माहे रमजान मुबारक का महीना क्या चीज है” तो मेरी उम्मत ये तमन्ना करेगी कि सारा साल रमजान ही हो जाए इस एक हदीस से आपको रमज़ान की पूरी फजीलत और रमजान की पूरी अहमियतों का अंदाजा लग गया होगा; यह जो महीना हमारे पास है हमें इसका फायदा उठाना चाहिए और अपने रब को खुश करके अपनी आखरत सवार लेनी चाहिए।


 रमज़ान की फजीलत और फायदे

रमज़ान की फजीलत की सबसे बड़ी और अहम फजीलतों की बात करें तो वह है; जहन्नम के दरवाजे बंद होना, जन्नत के दरवाजे खुलना रिज़्क बढ़ा देना, गुनाहों की माफी वगैरह” दोस्तों इन सब फज़ीलतों की मालूमात तो लगभग हर मुसलमान को होती है; लेकिन आज हम आपको इनके अलावा भी कुछ फजीलतें बताएंगे जिससे आपको कुछ और नया जानने को मिलेगा और आपको दीन की तालीम ज्यादा हासिल होगी।


नबी करीम सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम का इरशाद

हमारे नबी सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम का इर्शाद मुबारक है, कि रज्जब अल्लाह तआला का महीना है; और शाबानुलमु-अज़्ज़म मेरा महिना है, और रमजान उल मुबारक मेरी उम्मत का महीना है। रज्जब की फजीलत तमाम महीनों पर ऐसी है; जैसी कुरान शरीफ की फजीलत तमाम किताबों पर और शाबानुलमु-अज़्ज़म की दूसरे महीनों पर वैसी ही बुजुर्गी है, जैसे तमाम अंबिया पर मुझे है।

वहीं रमजान उल मुबारक को तमाम महीनों पर ऐसी ही फजीलत है; जैसे अल्लाह तआला को तमाम मखलूक पर एक हुजूरे अनवर सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम फरमाते हैं–अल्लाह तआला फरमाता है, कि हर एक अमल इब्ने आदम का बढ़ा दिया जाता है, एक नेकी की दस नेकियां लिखी जाती है; और उससे भी ज्यादा यहां तक कि 700 तक मगर रोजे का सवाब इतना है, कि उसकी हद को मैं ही खूब जानता हूं और उसका बदला अपने बंदों को मैं खुद ही दूंगा.


रमज़ान उल मुबारक में मोमिन का रिज़्क् बढा दिया जाता है।

हदीसों में आया है, नबी करीम सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम इरशाद फरमाते हैं; कि रमजान के महीने में अल्लाह अपने सच्चे बंदे-मोमिन के लिए रिज़्क के दरवाजे खोल देता है, और उनका रिज़्क बढा दिया जाता है।

तभी आपने रमजान के महीने में यह गौर किया होगा कि अल्लाह अपने बंदों पर इतना मेहरबान होता है, कि वह गरीब जिन्हें अच्छा खाना-पीना पुरे साल नहीं मिलता वह इस महीने मिल जाता इससे यह साबीत होता है, कि रमजान का महीना कितना मुबारक है।


Conclusion :

दोस्तों उम्मीद करते हैं, कि अपने इस आर्टिकल Ramzan Ke Maheene Ki Fazilat को तस्सली बक्श आखिर तक पूरा पढ़ा होगा और इसी के साथ रमजान के महीने की फजीलत जान कर अच्छा लगा होगा इसका मसला भी आपको पूरी तरहा पता चल चुका होगा।

अगर माज़ कोई doubt या सवाल आता हो तो आप हमारे comment box में मैसेज कर के पूछ सकते हैं, हमारी टीम आपके सवालों के जवाब ज़रूर देगी।


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