Lailatul Qadr Ya Shabe Qadr Kya Hai – लैलतुल कद्र या शबे कद्र क्या है ?
अस्सलाम वालेकुम नजराने दीन आज हम आपको बताने जा रहे हैं, की शबे कद्र क्या है ? यह क्यों मनाई जाती है और इसके क्या मायने हैं।
अल्लाह ने फरमाया है, की शबे कदर की रात हजार रातों से बेहतर है, शबे कद्र की रात रमजान उल मुबारक के महीने में आती है।
अल्लाह ने फरमाया है, कि शबे कद्र की रात हजारों रातों से बेहतर है क्योंकि आप हजार रातों में जो नफिल नमाज पढ़ेंगे उन सारी नमाजो का सवाब अल्लाह सिर्फ आज की इस शबे कद्र की रात की गई इबादत में देता है, मतलब जितना सवाब उन हजार रातों में मिलेगा अल्लाह उतना ही सवाब सिर्फ इस एक रात की इबादत में देता है।
शबे कद्र की रात को लैलतुल कद्र की रात भी कहा जाता है। यह रात अपने साथ बहुत सारी बरकते और खैर लाती है। यह रात इबादत के लिए बहुत खास है। बुखारी शरीफ की एक हदीस है, कि अल्लाह के प्यारे रसूल फरमाते हैं, कि जो इंसान इस रात में अपने दिल और जान से अल्लाह की इबादत करेगा और नमाज कुराने पाक पड़ेगा, तो अल्लाह उसके अगले और पिछले सारे गुनाह माफ कर देंगे, बेशक अल्लाह बहुत रहम करने वाला है।
इस रात इबादत करने वाले को 23 साल और 4 महीने की बारात का सवाब मिलता है, अल्लाह ने फरमाया है, जो इंसान इस रात को इबादत नहीं करता नमाज नहीं पड़ता नफिल नहीं पड़ता, वह बहुत आला सबाब से महरूम रह गया।
इस रात की अहमियत को समझते हुए जो इंसान इस रात को अल्लाह की इबादत करेगा और पूरा वक्त सिर्फ नमाज और कुरान में लगाएगा वह यह साबित करेगा, कि उस इंसान को अपने दीन और अल्लाह से कितनी मोहब्बत है और वह इस पाक महीने रमजान उल मुबारक में कितना सवाब कमाना चाहता है। आइए अब जानते हैं, कि शबे कद्र कब होती है।
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शबे कद्र की रात कब होती है ?
शबे कादर रमजान की 5 तारीख को में से एक तारीख हो सकती है।
21वी 23वी 25वीं 27 वी या 29वी मतलब कि 20 से रमजान को 21वीं शब होती है। शबे कद्र की रात को ही अल्लाह ने कुराने पाक नाजिल किया था। इसीलिए इस रात को बहुत ही खूबसूरत और गुनाहों से माफी मांगने की रात बताया गया है, इस रात में अल्लाह ने हमारे लिए बहुत बरकते पैदा की है और हमें जितना हो सके इस रात को अल्लाह की बारगाह में ज्यादा से ज्यादा इबादत करके गुजारना चाहिए और अल्लाह से अपने तमाम गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए।
शबे कद्र में कौन सी कौन सी इबादत करनी चाहिए ?
शबे कादर वाली रात को हर मुसलमान को जितना हो सके उतनी इबादत करनी चाहिए और अल्लाह का जिक्र करना चाहिए क्योंकि इस रात के लिए कोई खास नमाज नहीं है।
शबे कद्र की रात पर आप जितनी इबादत करें उतना ही कम है क्योंकि इस रात को हजार रातों से ज्यादा सवाब मिलता है शबे कद्र वाली रात को आप सलातुल हाजत, नफील नमाज़, कजा नमाज, कुराने पाक की तिलावत और नमाजे अदा कर सकते हैं।
शबे कद्र की खास दुआ – Shabe Qadr Ki Dua
اللَّهُمَّ إِنَّكَ عَفُوٌّ كَرِيمٌ تُحِبُّ الْعَفْوَ فَاعْفُ عَنِّي
दुआ ( हिंदी ) – अल्लाहुम्मा इन्नका अफुव्वुन तुहिब्बुल अफ्वा फ़अ’फु अन्नी
शबे कद्र की दुआ तर्जुमे के साथ
ए अल्लाह! बेशक तुम माफ करने वाला है, माफ करने को पसंद करता है। तू मुझे भी माफ फरमा दे,आमीन।
अल्लाह के प्यारे रसूल ने फरमाया कि जो शख्स ईमान की हालत में और पाक नियत से शबे कद्र वाली रात अल्लाह की इबादत में लग गया और उसने अपने दिल को साफ कर लिया तो अल्लाह उसके तमाम अगले और पिछले सारे गुनाह माफ अता फरमा देता है।
शबे कद्र या लैलतुल कद्र की 6 निशानियां – Lailatul Qadr Ya Shabe Qadr Kya Hai Or Unki 6 Nishaniyan
वैसे तो अल्लाह ने शबे कद्र को छुपा दिया है। और अल्लाह ने इन रातों के लिए कुछ निशानियां बताई हैं जिससे हमें थोड़ा बहुत अंदाजा हो सकता है कि वह कौन सी रात होगी जो शबे कद्र की होगी। आइए अब हम उन 6 निशानियां को जानते हैं, जो अल्लाह ने फरमाया है।
1. उस रात एक अनोखी सी रोशनी पैदा होती है
शबे कद्र वाली रात अल्लाह आसमान में एक अनोखी की रोशनी पैदा करते हैं जो देखने में बहुत खूबसूरत लगती है और आंखों को बहुत सुकून पैदा करती है वैसे ही इस रात में अल्लाह ने बहुत सुकून रखा है, जब हम आसमान की तरफ देखते हैं।
तो हमें ऐसे लगता है, कि यह रोशनी हमने पहली बार देखी है क्योंकि वह बहुत खूबसूरत होती है और उसमें बहुत ही अनोखा पन होता है।
2. उस रात कोई भी तूफान या ज़लज़ला नहीं आता
शबे कद्र की रात को कोई भी तूफान या जलजला नहीं आता इस रात को कोई भी आपदा नहीं होती क्योंकि यह बहुत ही बरकतों की और सुकून वाली रात होती है इस रात हर तरफ बहुत ही सुकून होता है और हर इंसान अल्लाह के जिक्र में लगा हुआ होता है।
3. उस रात गर्मी या सर्दी नहीं होती मौसम बहुत ही सुहाना रहता है
शबे कद्र की रात में ना ही गर्मी होती है ना ही सर्दी होती है और मौसम बहुत ही सुहाना रहता है मौसम बहुत ही प्यारा और दरमियान रहता है और उस रात को हवा भी बहुत दरमियानी चलती हैं, शबे कद्र वाली रात में चारों तरफ एक सुकून का माहौल रहता है
4. शबे कद्र की रात में इंसान को दिली सुकून मिलता है
वैसे तो अल्लाह के जिक्र में इंसान को हमेशा ही सुकून मिलता है लेकिन शबे कद्र वाली रात में एक अलग तरीका सुकून हासिल होता है इसीलिए जितना हो सके इस रात में हमें ज्यादा से ज्यादा इबादत करनी चाहिए और अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए बेशक अल्लाह माफ करने वाला है और माफी को पसंद करता है।
5. सूरज बगैर किरनो के साथ निकलता है
शबे कद्र की रात के बाद जो दिन निकलता है उस दिन के सूरज में किरने नहीं होती और उसमें एक सफेदी पैदा होती है जो बहुत ही सुकून देती है और वह मौसम बहुत दरमियां ना होता है उस सूरज में गर्मी नहीं होती और ना ही तपिश होती है।
6. शबे कद्र की रात में इबादत करने का मजा दुगना होता है
वैसे तो अल्लाह की इबादत में हमेशा ही सुकून मिलता है लेकिन शबे कद्र की रात वाले दिन अल्लाह का जिक्र करने पर इंसान को ज्यादा सुकून मिलता है जो कि और रातों से कई गुना ज्यादा होता है।
शबे कद्र वाली रात में बहुत ही सुकून भरी माहौल होता है और इसमें इबादत जो की जाती है उसमें बहुत ज्यादा सवाब मिलता है क्योंकि यह रात हजारों रातों से बेहतर है। इस रात इंसान का दिल चाहता है कि वह बस इबादत करता ही रहे क्योंकि उसे बहुत सुकून मिलता है।
Conclusion :
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