एतकाफ क्या है और उसमे क्या करे ? – Itikaaf Kya Hai Aur Usme Kya Kare

Itikaaf Kya Hai Aur Usme Kya Kare :- अगर आप पहले बार इतीकाफ में बैठ रहे हैं या पहले बैठ चुके हैं और आपको यह जानना है, की एटकाफ किया है और उस मैं किया करै ? तो ये पोस्ट आपके लिए सबसे अच्छी साबित होगी।

बहुत से लोगों को इस बात का पता तो होता है, की इतिकाफ में बैठने वाले शख्स को सांस लेने से लेकर सोने तक का सवाब मिलता है।

लेकिन वही लोग इसे गलत तरीके से ले लिए हैं, यह बात सच है कि इतिकाफ में बैठने वाले शख्स को हर एक चीज का सवाब मिलता है; लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह दिन भर खाली सोता रहे और आराम करता रहे।

उस शख्स के लिए और भी काम हैं जो इतीकाफ मे बैठे हुए करने होते हैं जिससे सवाब कई गुना ज्यादा मिलता है, और आज हम आपको वही बताने वाले हैं; तो चलिए शुरू करते हैं, कुछ शर्त से जो आपको माननी ही होंगी और अमल करना होगा. फिर इसके बाद हम जानेंगे।


Itikaaf Kya Hai Aur Usme Kya Kare ?

एतकाफ का बयानी

  • हदीस– उम्मुल मोमिनीन सिद्दीका रदियाल्लाहु तआला अन्हा से रिवायत है के रसूलुल्लाह सल्ल लहू तआला अलैही वसल्लम रज़्मज़ान के आखिरी अशरा ( आखरी 10 दिन ) में एतकाफ फरमाया करते ( बुखारी, मुस्लिम )
  • हदीस– हज़रत अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास रदियाल्लाहु त’आला अन्हुमा से रिवायत है के हुज़ूर सल्ल लहू त’आला अलैही वसल्लम एतकाफ़ करने वाले के बारे में फरमाया वो गुनाहों से बाज़ रहता है और नेकियों से उस्य इस क़दर सवाब मिलता है उसने तमाम नेकिया की। ( इब्ने माजा )
  • हदीस– हज़रत हुसैन रदियाअल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है के हुज़ूर अक़दास सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया जिस रमज़ान में 10 दिनो का एतकाफ़ कर लिया तो ऐसा है जैसे 2 हज और 2 उमरे किए।
  • मसला: मस्जिद में अल्लाह के लिए नियत के साथ ठहरना एतकाफ है और उसके लिए मुसलमान आकिन (अक्ल वाला) होना और जनाबत (नपाकी) और हैज और निफास से पाक होना शरत है, बालिग होना शरत नहीं।

एतकाफ की 3 किसमें है :

  • 1) वाजीबो
  • 2)सुन्नते मुअक्कीदा
  • 3) मुस्तहाब

1) एताकाफ-ए-वाजीबो

  • ये मन्नत का एतकाफ है जैसे किसी ने मन्नत मानी के फुलाह काम हो जाएगा तो मैं 1 दिन या 2 दिन एतकाफ करुगा तो ये एतकाफ वाजिब है इस्का पूरा करना जरूरी है। एतकाफे वाजिब के लिए रोजाह शार्प है बगैर रोजह के सही नहीं।

2) एताकाफ-ए-सुन्नते मु-अक्कीदा

  • ये रमज़ान के पूरे आश्रय आखिरा यानी आखिरी 10 दिनों में किया जाए।
  • मसला– 20 के रमज़ान को सूरज डूबते वक़्त एतकाफ़ की नियत से मस्जिद में मौजूद हो और 30 की सूरज डूबने के बाद या 29 को चाँद होने के बाद निकले।
  • मसला– अगर 20 की तारिख को बाद नमाज-ए-मगरीब एताकाफ की नियत की तो सुन्नत-ए-मु-अक्कीदा अदा ना होगी।
  • मसला– ये एतकाफ सुन्नत-ए-मु-अक्कीदा किफाया है के अगर सब छोड दे तो सब पकरे जाएं और आगर 1 ने भी कर लिया तो सब छूट जाए।
  • मसला– इस एतकाफ में भी रोजा शरत है मगर वही रमजान के रोजे काफी है।

3) एताकाफ-ए-मुस्तहाबी

  • एतकाफे वाजिब और एतकाफे सुन्नत-ए ओके मु-अक्कीदा के अलावा जो एतकाफ किया जाए वो मुस्तहब है। एतकाफे मुस्तहब के लिए रोजाह शरत नहीं, ये थोड़ी देर का भी हो सकता है मस्जिद में जब जब जाए इस एतकाफ की नियत कर ले चाहे थोड़ी ही देर मस्जिद में रहकर चला आए और जब मस्जिद के बहार आ जाएगा, एतकाफ खातम हो जाएगा और उसकी नियत ये है
  • और उर्दू में इस तरह कहें मैंने-अल्लाह के वास्ते एतकाफ-ए-मुस्तहब की नियत की।
  • मसला : मर्द के एतकाफ के लिए मस्जिद जरूरी है
  • मसला : औरत अपने घर की उस जगह में एतकाफ करे जो जगा उसे नामाज़ के लिए मुकर्रर कर रखी हो।
  • मसला : अगर औरत ने नमाज के लिए कोई जगा मुकर्रर नहीं कर रखी है तो घर में एतकाफ नहीं कर सकती, अलबत्ता अगर इस वक्त यानि जब के एतकाफ का इरदा किया किसी जगह को नमाज़ के खाकरलिया तो उस जगह एटकाफ कर सकती है
  • मसला : औरत के लिए ये मुस्तहब है के घर में नमाज पढ़ने के लिए कोई जगा मुकर्रर करले और पाक और साफ रखे का इस्तेमाल करें।
  • मसला: mutakif (एतकाफ करने वाला) को मस्जिद से बगैर उजर निकालना हराम है अगर निकला तो एतकाफ टूट जाएगा, चाह भूल कर ही निकला हो जब भी।
  • मसला : औरत अगर अपने एतकाफ की जगह से निकली तो एतकाफ जाता रहा, चाहे घर ही में रहे।
  • मसला : मुताकिफ (एतकाफ करने वाला) मस्जिद ही में खाये पिए सोय इन उमर के लिए मस्जिद से बहार होगा तो एतकाफ जाता रहेगा, मगर खाने पीने में ये एहतियात लजीम है की मस्जिद आलुदा ना हो
  • मसला : मुताकिफ के सिवा और किसी को मस्जिद में खाने पीने सोने की इजात नहीं और अगर ये काम करना चाहे तो एतकाफ की नियत करके, मस्जिद में जाए और नमाज़ पढ़े या जिक्र इलाही करें फिर ये काकर सकता है
  • मसला : मुताकिफ न चुप रहे न बात करे बाल्की कुरान-ए-मजिद की तिलावत हदीस की क़िरत और दुरूद शरीफ़ की क़सरत करे, अंबिया वा औलिया वा सालेहेन के हालत पढे।
  • मसला : एतकाफ जिस वजह से भी टूटे कसदन या बिला कसद बेहराल काजा वाजिब है।
  • मसला : सुन्नत-ए-मुअक्किदा एतकाफ अगर तोड़ा तो जिस दिन तोड़ा फकत उस एक (1) दिन की कजा है पूरे दास (10) दिनों की कजा वजीब नहीं।
  • मसला : अगर नफ्ल एतकाफ तोड दे तो इसकी कजा नहीं

चीजें जो एतिकाफ को खत्म करती हैं ?

  • किसी जरूरत के लिए बाहर जाना और जरूरत पूरी होने के बाद भी रहना
  • बिना किसी कारण के अपना स्थान छोड़ना
  • जब आप इतिकाफा में हों तो अवांछित संगति का होना।
  • एतकाफ की दुआ Arabic मैं بسم الله دخلت و عليه توكلت و نويت سنت الاعتكاف۔ “
  • एतकाफ की दुआ हिंद मैं बिस्मिल्लाहि दखल्तु व अलैहि तवक्कलतु व नवैतु सुन्नतुल एतिकाफ़”
  • एतकाफ दुआ तर्जुम हिंद मैं। मैं अल्लाह के मुबारक नाम के साथ (मस्जिद में) दाखिल होता हूँ और उस पर मैंने अपना भरोसा रखा है, और मैंने एतिकाफ की सुन्नत का इरादा किया है।

Conclusion, निष्कर्ष

दोस्तों उम्मीद करते हैं कि अपने इस आर्टिकल Itikaaf Kya Hai Aur Usme Kya Kare को तस्सली बक्श आखिर तक पूरा पढ़ा होगा और इसी के साथ एतकाफ किया है और उस मैं किया करें जान कर अच्छा लगा होगा इसका मसला भी आपको पूरी तरहा पता चल चुका होगा।

और अगर माज़ कोई doubt या सवाल आता हो तो आप हमारे comment box में मैसेज कर के पूछ सकते हैं, हमारी टीम आपके सवालों के जवाब ज़रूर देगी।

शुक्रिया खुदा हाफिज


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