एतकाफ की नियत और दुआ – Itikaaf Ki Niyat Aur Dua

Itikaaf Ki Niyat Aur Dua :- बिस्मिल्लाह ए रहमान ए रहीम , अगर आप पहले बार इतीकाफ में बैठ रहे हैं या पहले बैठ चुके हैं और आपको यह जानना है की एटकाफ किया है और उस मैं किया करै तो ये पोस्ट आपके लिए सबसे अच्छी साबित होगी।

बहुत से लोगों को इस बात का पता तो होता है की इतिकाफ में बैठने वाले शख्स को सांस लेने से लेकर सोने तक का सवाब मिलता है।

लेकिन वही लोग इसे गलत तरीके से ले लिए हैं, यह बात सच है कि इतिकाफ में बैठने वाले शख्स को हर एक चीज का सवाब मिलता है; लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह दिन भर खाली सोता रहे और आराम करता रहे।

उस शख्स के लिए और भी काम हैं, जो इतीकाफ मे बैठे हुए करने होते हैं, जिससे सवाब कई गुना ज्यादा मिलता है, और आज हम आपको वही बताने वाले हैं; तो चलिए शुरू करते हैं कुछ शर्त से जो आपको माननी ही होंगी और अमल करना होगा. फिर इसके बाद हम जानेंगे।

एतकाफ की नियत और दुआ – Itikaaf Ki Niyat Aur Dua

  • इतिकाफ नियत अरबी में بسم الله دخلت और عليه توكلت और نويت… اللهم افتح لي ابواب رحمتكك इतिकाफ नियात अंग्रेजी लिप्यंतरण बिस्मिल्लाहि दखलतु वा’अलैही तवाक्कल्तु वनावेतु सुन्नतुल एतिकाफ इतिकाफ नियात अंग्रेजी में “अल्लाह के पाक नाम के साथ मैंने मस्जिद में दाखिल किया है, और मैंने उसमें अंदर गया और मैंने उसे रखा है, एतिकाफ की सुन्नत का इरादा किया है। ऐ अल्लाह मुझ पर अपनी रहमत के दरवाज़े खोल दे।
  • 1 .एक मौके पर सरकार सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमायाः जब रमज़ान की पहली रात होती है तो अल्लाह तआला अपनी मखलूक की तरफ़ नज़रे करम फरमाता है और जब अल्लाह तआला किसी बन्दे की तरफ़ नज़रे करम फ़रमाए तो उसे कभी अज़ाब न देगा ।
  • और हर रोज़ दस लाख गुनहगारों को जहन्नम से आज़ाद फ़रमाता है और जब उन्तीसवीं रात होती है तो महीने भर में जितने आज़ाद हुए उन के मजमूए के बराबर एक रात में आज़ाद करता है।
  • फिर जब ईदुल फित्र की रात आती है तो मलाइका खुशी करते हैं और अल्लाह तआला अपने नूर की ख़ास तजल्ली फ़रमाता है और फ़रिश्तों से कहता है। ऐ गिरोहे मलाइका: उस मज़दूर का क्या बदला है, जिस ने काम पूरा कर लिया।
  • मलाइका अर्ज करते हैं। उस को पूरा पूरा अज्र दिया जाए । अल्लाह अज्ज व जल्ल फ़रमाता है; तुम गवाह रहना कि मैं ने सब को बख़्श दिया।
  • रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमायाः सब्र ईमान का आधा हिस्सा है और रोज़ा सब्र का आधा हिस्सा । इन्सान का हर अमल मज़ालिम के बदले में जाता रहता है मगर रोज़ा किसी के बदले में जाया नहीं होता बल्कि अल्लाह तआला कियामत के दिन यह फरमाएगा कि रोजे को मुझ से ताल्लुक है इस के ज़रिये कोई अपना बदला नहीं ले सकता।
  • हज़रत इब्राहीम बिन अदहम रहमतुल्लाहि अलैहि रमज़ान में अव्वल से आखिर तक कुछ न खाते थे” हालांकि शदीद गर्मी का ज़माना होता और रोज़ाना गेहूं की मज़दूरी को जाते थे और जितनी मज़दूरी मिलती थी। वह सब फ़कीरों में बाँट देते थे
  • और रात भर इबादत करते और नमाजें पढ़ते यहाँ तक कि दिन निकल आता और वह लोगों की नज़रों के सामने रहते थे और लोग उन्हें देखा करते कि वह कुछ खाते पीते नहीं हैं और रात को सोते भी नहीं हैं।
  • (सहीह मुस्लिम, किताबुल ए’तिकाफ, हदीस 1172)
  • बैहक़ी, इमाम हुसैन رضي الله تعالى عنه से रावी, की हुज़ूरे अक़दस صلى الله عليه وسلم ने फ़रमाया : “जिस ने रमज़ान में दस दिनों का ए’तिकाफ कर लिया तो ऐसा है जैसे दो हज और दो उमरे किये।
  • ए’तिकाफ़े सुन्नत या’नी रमज़ान के आखरी अशरह का ए’तिकाफ “सुन्नत मुअक्कदा अलल किफ़ाया है या’नी पूरे शहर में किसी एक ने रख लिया तो सब की तरफ से अदा हो गया और अगर किसी एक ने भी न किया तो सब मुज़रिम हुए।
  • ए’तिकाफ़े सुन्नत में यह ज़रूरी है कि रमज़ानुल मुबारक की बीस्वी तारीख को गुरूबे आफ़ताब से पहले मस्जिद के अन्दर ब निय्यते ए’तिकाफ मौजूद हो और उन्तीस के चांद के बा’द या तीस के गुरूबे आफ़ताब के बा’द मस्जिद से बाहर निकले।
  • अगर 20 रमज़ानुल मुबारक को गुरूबे आफ़ताब के बा’द मस्जिद में दाखिल हुआ तो ए’तिकाफ की सुन्नते मुअक्कदा अदा न हुई बल्कि सूरज डूबने से पहले ही मस्जिद में दाखिल हो गए थे मगर निय्यत करना भूल गए या’नी दिल मे ही निय्यत न थी तो इस सूरत में भी ए’तिकाफ की सुन्नते मुअक्कदा अदा न हुई। अब अगर गुरूबे आफ़ताब बा’द निय्यत की तो नफ़ली ए’तिकाफ कहलायेगा
  • ऊपर हमने पढ़ा की एतिकाफ़ क्या होता है, एतिकाफ़ की नीयत कैसे करते है, एतिकाफ़ की दुआ क्या होती है हिंदी में, एतिकाफ़ के नियम क्या हैं। इतना सबकुछ एतिकाफ़ के बारे में जानने के बाद अब हम आपको बताएंगे की एतिकाफ़ करने के फायदे क्या-क्या हैं।
  • आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो शख्स रमज़ान के आखिरी हिस्से में 10 दिन का एतिकाफ़ करेगा तो उस शख्स को दो हज और दो उमराह करने का सवाब मिलेगा।
  • पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो इंसान रमज़ान में एक दिन और एक रात एतिकाफ करे तो उस इंसान को 300 शहीदों का सवाब मिलेगा।
  • जो शख्स एतिकाफ़ करता है वो तमाम गुनाहों से बचा रहता है और उसके अमाल में नेकिया बढ़ती जाती है।
  • इतिकाफ़ करने वाले इंसान का हर पल इबादत में लिखा जाता है।
  • आप सभी हजरत से गुजारिश की इस आर्टिकल मैं दी गई सभी जानकारी हदीसो से और हमारे आलिम बुजुर्गो से जान कर के आपके साथ बाटी गई है। अलबत्ता किसी भी बात का आपको मसला समझ नही आता या हमारे दिए गए आर्टिकल मैं आपको गलती नजर आती है उसके लिए माफी अल्लाह से तोबा हमे कॉमेंट बॉक्स मैं जरूर बताएं।

Conclusion, निष्कर्ष

दोस्तों उम्मीद करते हैं कि अपने इस आर्टिकल Itikaaf Ki Niyat Aur Dua को तस्सली बक्श आखिर तक पूरा पढ़ा होगा और इसी के साथ एतकाफ की नियत और दुआ जान कर अच्छा लगा होगा इसका मसला भी आपको पूरी तरहा पता चल चुका होगा।

अगर माज़ कोई doubt या सवाल आता हो तो आप हमारे comment box में मैसेज कर के पूछ सकते हैं हमारी टीम आपके सवालों के जवाब ज़रूर देगी।

शुक्रिया खुदा हाफिज


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