सेहरी कहने की दुआ और नीयत – Sehri Khane Ki Dua

Sehri Khane Ki Dua :- रमजान में जब रोजे रखने का मौका आता है, तो सबसे पहला अरकान जो हर मुसलमान करता है और जो हमारे नबी की सुन्नत है वह है ‘ सेहरी ‘।

अगर आप रोजा रखने का इरादा रखते हैं, तो आपके लिए Sehri khane ki dua या सेहरी खुलने की दुआ याद रखना अति आवश्यक है।

आज आपको हमेशा डिटेल में बताएंगे, Sehri khane Ki Dua या Sehri Se Pehle ki dua। इस आर्टिकल में हम आपको इसी मुद्दे पर जानकारी देंगे।


सेहरी कहने की दुआ – Sehri Khane Ki Dua

चलिए फिर सबसे पहले देखते हैं, कि सेहरी खाने की वह कौन सी दुआ है – Sehri se Pehle ki Dua (Arabic)

وَبِصَوْمِ غَدٍ نَّوَيْتُ مِنْ شَهْرِ رَمَضَانَ.

सेहरी की दुआ ( हिंदी )

“व बिसौमि गदिन नवैतु मिन शहरि रमजान”

Sehri khane ki dua का तर्जुमा

तो अभी हमने आपको बताई है, Sehri se Pehle ki Dua। चलिए अब हम उसका तर्जुमा देखते है।

इस दुआ का हरजुमा – मैं रमजान महीने के कल के लिए रोज़ा रखने का इरादा करता हूं।।


क्या हम सेहरी खाए बिना रोजा रख सकते हैं ?

रोजा के बहुत से फर्ज अरकान होते है। रोजा रखते समय सेहरी करना सुन्नत है और बरकत का एक हिस्सा होता है। रोजा रखते समय, सहरी करना और sehri khane ki dua पड़ना चहिए।

रोजा रखते समय – सेहरी के दुआ पड़ने से हमारा शरीर दिन भर तंदुरुस्त रहता है और अब ताकत भी मिलती है। अतः इससे रोजा रखने की क्षमता भी प्राप्त होती है।

परंतु अगर किसी कारण से आप सेहरी कर नहीं पाते हैं और आप रोज नहीं छोड़ना चाहते तो आप बिना सेहरी के रोजा भी रख सकते हैं। ध्यान दे सेहरी करना सुन्नत है, फर्ज़ या शर्त नहीं।


अगर सेहरी के लिए देर से उठे तो ?

सेहरी करना करना रोजा रखने के लिए एक जरूरी और का नहीं है यह हमारे नबी की सुन्नत है। किसी कारण से आप सेहरी में नहीं उठ पाते है। और अब आपके आखें जब खुली है, जहां सेहरी का वक्त खत्म हो चुका है और फज्र की अजान भी हो चुकी है। तब उस समय आप से ही नहीं कर सकते।

परंतु अगर आपको रोजा रखना है, तो आप बिना सेहरी का रोज़ा  रख सकते हैं।


क्या बिना सेहरी के रोजा होंगा ?

जी हां अगर आप किसी कारण से सेहरी नहीं कर सकते हैं, तो बिना सेहरी के भी रोजा मुकम्मल हो जाएगा। पर सेहरी करने की जो फजीलत है और जो सवाब है और जो सुन्नत अदा होती है, उससे आप मैहरूम रहेंगे।


सेहरी का अर्थ

सेहरी एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ होता है – रात के आखिरी हिस्से से लेकर सुबह के पहले तक खाना, जो रोजे की नियत से खाया जाए।


सेहरी की सुन्नत

सुन्नत का अर्थ है हमारे नबी के तरीके पर अमल करना। सेहरी करने के भी कुछ sunnat है। नीचे दी गई यह कुछ सेहरी की सुन्नत हैं :-

  • देरी से करें

देरी से सेहरी करना ये सुन्नत है। फज्र की अजान से पहले आप आखरी वक्त में सेहरी किया करे।

  • सेहरी में खजूर खाए

खजूर के बहुत से फायदे हैं, जिसमें खून का बढ़ना और अनेक बीमारियों से निजात शामिल है। सेहरी में खजूर खाने से शरीर में तंदुरुस्ती आती है और ताकत भी बनी रहती है।

  • जानबूझकर सेहरी नहीं छोड़ना चाहिए

सेहरी करना एक बहुत अच्छा माल है इसका ध्यान रखना चाहिए कि आप जानबूझकर सेहरी को ना छोड़े।

  • सेहरी में सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नत है

सेहरी यह फर्ज अमल नहीं है लेकिन हमारे नबी का सेहरी करना मामुल था। इसलिए सिर्फ सुन्नत अदा करने की नियत से भी आप सेहरी कर सकते हैं। आखरी दर्जे में आप 1-2 खजूर ही खा सकते है।


क्या सेहरी के लिए तहारत होनी चाहिए ?

सेहरी करने के लिए आपको वह जो या कुरान को हाथ में लेने की कोई आवश्यकता नहीं होती । इसलिए आप बिना तहारत भी सेहरी कर सकते है। लेकिन फज्र और तहज्जुद की नमाज पढ़ने के लिए आपको तहारत की आवश्यकता होगी।


Conclusion :-

इस आर्टिकल में हमने आपको Sehri khane ki dua, सेहरी की क्या-क्या खूबियां है और आप सेहरी को किस तरह से कर सकतें हैं – इन चीज़ों का ज्ञान दिया है।  आशा है, आपको अच्छी तरह से समझ आ गया होंगा।


Read Also :-

Leave a Comment

Share via
Copy link
Powered by Social Snap