इस्लामी 12 महीनों के नाम – Islami Mahino Ke Naam

Islami Mahino Ke Naam :- आज के इस लेख के तहत हम आपको Islamic Months Name in Hindi के बारे में बताने वाले है। हम सभी को इस्लामिक हिजरी कैलेंडर के बारे में ज़रूर पता होना चाहिए। तो चलिए जानते है।


इस्लामी 12 महीनों के नाम – Islami Mahino Ke Naam

आप सभी बहुत आसानी पूर्वक इस्लामिक महीनों को यादकर सकते है, नीचे दी गई टेबल की मदद से।

क्र. सं.हिंदी मेंEnglishउर्दू
1.मुहर्रमMuharramمُحَرَّم
2.सफ़रSafarصَفَر
3.रबीउल अव्वल         Rabiul Awwalرَبِيع ٱلْأَوَّل
4.रबीउल आखिर         Rabiul Akhirربيع الثاني or رَبِيع ٱلْآخِر
5.जमादी-उल-अव्वलJamadi-ul-Awwalجُمَادَىٰ ٱلْأُولَىٰ
6.जुमादा अल-आखिरJumaada Al-Akhir         جمادى الآخر أو جمادى الثاني
7.रजबRajabرَجَب
8.शाबानShabanشَعْبَان
9.रमजानRamzan     رَمَضَان
10.शव्वालShawwalشَوَّال
11.ज़िल क़ादाZil Qadahذُو ٱلْقَعْدَة
12.ज़िल हिज्जाZil Hijjaذُو ٱلْحِجَّة

वैसे तो सभी महीनों की अपनी फ़ज़ीलत है। पर मुसलमानो के लिए सबसे बेहतरीन महीना रमजान का होता है। जिसमे वह सबसे ज़्यादा इबादत करते है।

रमजान के महीने में मुस्लिम लोग बहुत सादगी से रहते है और इस महीने में अल्लाह की खूब रहमतें नाजिल होती है। सबसे बेहतरीन महीना यह इस लिए भी है की इस पाक महीने में हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैह बसल्लम की पैदाइश हुई थी।


Islamic Mahino Ke Naam Hindi Mein Pdf Download

सभी मुसलमान भाइयों को हमने PDF दी है। जिसकी मदद से आप आसानी से महीनो के नाम याद कर सकते है।


क्या है हिजरी कैलेंडर ? – Hijiri Or Islamic Calender Kya Hai

हिजरी या इस्लामी कैलेंडर को (अरबी: التقويم الهجري; अत-तक्वीम-हिज़री; फारसी: تقویم هجری قمری ‎’तकवीम-ए-हिज़री-ये-क़मरी) जिसे हिजरी तक्बीम भी कहते हैं, एक कमरी तक्बीम है, जो न सिर्फ मुस्लिम देशों में इस्तेमाल होता है, बल्कि इसे पूरे विश्व के मुस्लिम भी इस्लामिक त्योहारों को मनाने के लिए सही समय जानने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस हिजरी कैलेंडर में 1 साल में में बारह महीने, या 354 या 355 दिन होते हैं।


हिजरी सन् की शुरुआत

यदि बात करें की हिजरी सन् की शुरुआत कब हुई थी। तो हिजरी की शुरुआत दूसरे खलीफा हजरत उमर फारुख रजि. के दौर में हुई थी। 

हजरत अली रजि. के मश्बरा से ये तय हुआ था। इस्लाम धर्म के आखरी पैगम्बर हमारे प्यारे नबी हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैह बसल्लम के पाक शहर मक्का से मदीना जाने के समय से हिजरी सन को इस्लामी साल की शरुआत मानी गई थी।

इस जानकारी के आधार पर ही हजरत अली रजि. और हजरत उस्मान गनी रजि. की राय पर ही खलीफा हजरत उमर रजि.ने मोहर्रम को हिजरी सन का पहला महिना मुक़र्रर कर दिया गया। उसके बाद से ही सभी मुस्लमान भाई मोहर्रम को इस्लामी नए साल की शुरुआत मानते हैं।


सूरज डूबने के बाद से शुरू होता है नया दिन

अब जानते है, की इस्लामिक नए दिन की शरुआत कब होती है। तो इस्लामिक गुरूब आफ़ताब यानि सूरज डूबने के बाद से नए साल की शुरुआत होती है।

‘मोहर्रम’ इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम है। कुरआन के पारा नम्बर 10 में सूरह तौबा की आयत नम्बर 36 के मुताबिक इस पाक महीने में हज़रत आदम अलेहि सलाम दुनिया में तशरीफ़ लाए थे। इसके साथ ही इस दिन हजरत नूह अलेहि सलाम की कश्ती को दरिया के तूफान में किनारा मिला था।

हजरत मूसा अलेहि सलाम और उनकी कौम को फिरऔन के लश्कर से निजात मिली और फिरऔन दरिया ए नील में समा गया था इस दिन।


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