रोजा इफ्तार की दुआ – Roza Iftar Karne ki Dua

Roza Iftar Karne Ki Dua :- रमजान उल मुबारक दूर नहीं है। आज आपको Roza Iftar Karne Ki Dua या वो दुआ जो रोजा इफ्तार करने की एहम भूमिका रखती है। रोजा में हमे जल्दी इफ्तार करना चाहिए, क्योंकि नमाज़ कर लिए अज़ान जल्दी आ जाती है।  ऐसा माना जाता है, की जब आप अज़ान का इंतजार कर रहे हैं। आपको उस वक्त आप को सारी दुआ मांगनी चाहिए, क्योंकि कहा जाता है, कि अल्लाह तआला अपने बंदो की दुआ मसाला पर जल्दी सुन लेता है। हमेशा जब भी रोजा इफ्तार करो तब सबसे पहले बिस्मिल्लाह बोलना चाहिए।  चलो नीचे आपके लिए रोजा इफ्तार करने की दुआ दी गई है। Also Read :-

रोजा इफ्तार करने का बयान

जब एक बंदा अपने शुद्ध दिल के सारे दिन सबर और शुक्र करके रोजा रखता है। और जन इफ्तार का समय आता है, तब उसका पूरा रोजा मुकमल होता है। जब रोजा करके बंदा इफ्तार करने के लिए बैठा है, वो हलाल रिस्क रोजे की हालत के जो उसके लिए माना हो गया था, वो अल्लाह ताला दुबारा हलाल कर देता है। उसका इतना करम होता है, की वो बंदे के ऊपर इतना एहसान करता है उनको रिज़्क आता करके।  इस महिने में अमीर हो या गरीब, सभी लोग इफ्तारी के लिए हलाल और अच्छे खाने का इंतजारम या अच्छा खाना ही लेते हैं। चांद देख कर बहुत सी बातें पेश की जाति है।  इस को देख कर खुद इफ्तार और दसरे को इफ्तार करने के लिए सहानुभूति मिल जाती है।

Roza Iftar Karne Ki Dua 

“अल्लाहुम्मा इन्नी लका सुम्तु वा बीका आमंतु [वा ‘अलिका तवक्कलतु] वा ‘अला रिज़्क़-इका आफ़्टरतु”। तारजुमा – इफ्तार करने के बाद ये दुआ पढ़े तारजुमा: ऐ अल्लाह!  मैंने तेरे लिए रोजा रखा और तुझ पर ईमान लाया! और तुझ पर भरोसा किया!  और तेरे मरे हुए से इफ्तार किया तो दो मुझसे इसाको कुबूल फार्मा “Allahumma inni laka sumtu wa bika aamantu [wa ‘alaika tawakkaltu]wa ‘ala rizq-ika aftartu”. Tarjuma – Iftar karne ke baad ye dua padhe tarjuma : ai allah ! maine tere liye roza rakha aur tujh par imaan laaya !Aur tujh par bharosa kiya ! aur tere die hue se ifataar kiya to two mujh se isako kubool pharama रोजा इफ्तार करने का मतलब :- इफ्तार का अर्थ इफ्तार का उद्योग हुआ ए फितरतों से आया है, जिसका मतलब होता है आदत। एक बंदा इफ्तार रोज करता है, जब वो इबादत करता है। रोजा करने के बाद जब बंदा इफ्तार करता है, उस समय वो अपना खान पान उसी से बना लेता है, जिस के वो रोज पोष्टिक अहर और समय पर खाना लग जाता है। इफ्तार का मतलब होता है, शिगाफ पढ़ना या सुरख होना की जो इस मामले में बराबर से मुकममल साबित करता है।  इस्से इंसान के शरीर में एक ऐसी हलत हो जाती है, के खाना न मिलने पर भी वो सबर कर सकता है या मुसिबत के समय उसे बिना खाए या पिया कोई भी परशानी ना हो।

रोजा इफ्तार के वक्त क्या करे ?

यह कभी आपने सोचा की बंदा पांचों वक्त नमाज के बाद दुआ करता है!  जुमातुल मुबारक की नमाज और बड़ी रातों में दुआ करते हैं!  लेकिन दुआ की कबूलियत का जो याकीन आर एहतमां माहे रमजान शरीफ में कहता है कि वक्त होता है वह किसी और वक्त नहीं होता। आप देखते होंगे की एक रोज़ादार तिजारत की मंडी में अगर बैठा है!  तो वह इफ्तार से चांद मिन्नत पहले से काम छोड कर निहयत है खुशबू और खजूर के साथ मजबूत है दुआ हो जाता है।  इसी तरह घरों में ख़्वातेन और बच्चे, मस्जिद में नमाज़ और इमाम सबके सब दुआ में मसरूफ़ हो जाते हैं।  आखिरी वक्त इफ्तार दुआ का इतना एहतमां क्यों किया जाता है? वजाह जहीर है!  की सुबह सादिक से लेकर गुरुब आपताब तक खासियत रब्बानी के तस्व्वुर में डूब कर बंदे ने अपने वजूद को तीन चीजों से रोक रखा है!  जो सिरफ और सिरफ अल्लाह की राजा की खतीर और अल्लाह के खुदा की वजह से उसे एकम की बाजा आवरी में बंदा इखलास के साथ यह वक्त गुजराता है! इसली बंदे को पूरा याकिन होता है!  की मैं फिरामबरदारी में कोई काम नहीं की!  एक इफ्तार के वक्त में जो भी दुआ अपने रब से करूगा के लिए!  मौला ज़रूर क़बूल फरमानियागा। हुजूर नबी करीम सल ने फरमाया-अल्लाहु अलैहि वसल्लम!  तीन आदिमों की प्रार्थना रद्द नहीं की जाती है।  रोजे के वक्त आदिल बादशाह और मजलूम की नमाज।
Nabi Kareem Ke Roza Iftar Karne Ka Tarika
सुन्नत यह है कि इफ्तार जल्दी किया जाना चाहिए, यानी जैसे ही इफ्तार का समय हो!  इफ्तार के बाद बिला तखिर खानी चाहिए.  यह एक हदीस में है कि पैगंबर करीम सल-अल्लाहु अलैहि वसल्लम ने कहा। जब रात आती है और दिल चला जाता है!  और सूरज को पूरी तरह छिपने दो!  तो अब जल्दी करो। ( बुखारी : दिनांक 1एस 262 ) एक अन्य हदीस में कहा गया है कि पैगंबर (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने कहा।  “दीन तब तक ग़ालिब रहेंगे! जब तक लोग इफ्तार की जल्दी करते रहेंगे! क्योंकि यहूदा और नसारा इफ्तार में दावत करते थे। (अबू दाऊद एस। 321) एक और हदीस में रसूल-ए-खुदा है।  अकरम नूरे मुजस्सम सल – अल्लाहु अलैही वसल्लम नरशाद।  कहा: अल्लाह तआला कहते हैं!  कि मैं अपने सेवकों में सबसे अधिक पसन्द करता हूँ!  जो इफ्तार में जल्दी हो।  (तिर्मिधि : दिनांक 1, संख्या 150)
रोज़ा इफ्तार करने की फ़ज़ीलत
हजरत शमसुद्दीन दरानी कुद्दिसा सिरोहू कहते हैं – कि मैं दिन में रोजा रखता हूँ!  और हलाल लुकमा के साथ रात में इफ्तार करता हु!  मैं इसे और अधिक प्यार करता हूँ –  कि मैं नवाफिल पढ़कर दिन-रात बिताऊं।
किस चिज से रोजा इफ्तार करे ?
हज़रत सलमान बिन अमीर रदिअल्लाहो ताला अन्हुमा रिवायत करते हैं।  रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने फरमायाः जब तुम में से कोई इफ्तार करे!  तो खजूर के साथ इफ्तार या चूड़ा (कि वह धन्य हो) और न मिले तो पानी से जो पाक करने वाला है।
खजूर का कीमाई ताजज़ई
इसके आंवला और जौहर ( proxidais ) भी पाया जाता है। जैसे के सुबाह सहरी के बाद शाम तक कुछ खास पिया नहीं जाता और जिस्म की कैलोरी ( chalorlais ) या हरारे मुसलसल कम होते रहते हैं ! इसे समय खजूर एक ऐसा मोटादिल और जानदेह चीज है – जिससे हरारत कम हो  जाती है। और जिस्म गुनगु अमराज़ से बच्चा जाता है ! अगर जिस्म की हरारत को नियंत्रण न किया जाए तो अलग अलग बीमारी होने के भी खतरे बताए जाते है। परंतु हम 1 महीने तक रोजा रखते है हमे कुछ नही होता। यह सब अल्लाह का फजल हैं।
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