Itikaf Karne Ka Tarika, Dua, Niyat Aur Fazeelat – एतिकाफ़ की नियत और दुआ

Itikaf karne ka tarika dua niyat aur fazeelat :- आज के इस आर्टिकल में हम एतिकाफ़ की नियत और दुआ, Fazeelat के बारे में जानेंगे , अगर आप भी इस के बारे जानना चाहते है, तो इस लेख के साथ बने रहिये।


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एतिकाफ़ क्या है ?

माह-इ-रमजान में की जाने वाली इबादतों में से एक इबादत “एतिकाफ़” है। इतिकफ़ का तरीका बताने से पहले हम एतिकाफ़ के बारे में जन लेते है।

एतिकाफ़ का मतलब ठेहेरना, रुक जाना और जम जाना होता है।

शरई इस्तेलाह में इतिकफ़ की तारीफ इब्न हजार रहमतुल्लाह अलैहे ने इन लफ्जों में की है:

“मखसूस शख्स का मखसूस सिफत पर अम्स्जिद में बैठे रहने का नाम ल्तिकफ़ है”।


एतिकाफ करने का तरीका – Itikaf karne ka tarika dua niyat aur fazeelat

इतिकफ़ क्या होता है, यह आप नए जान लिया है। अब बात करते है, की इतिकफ़ किस किस तरह किया जा सकता है।

एतिकाफ़ के नियम

1. इतिकफ़ का तरीका पुरुषो के लिए

पुरुष मस्जिद में रहकर ही इबादत करते है। बीसवीं तरावीह के दिन मगरिब की नमाज़ को पढ़कर एतिकाफ़ करने वाला शख्स मस्जिद में ही रुक जाए। लोगों से दुनियावी बातें करना मना है।

मस्जिद के बाहर किसी दुनियावी काम से जाना मना है, अगर मस्जिद में शौचालय नहीं है, तो वो बाहर निकल सकता है। एतिकाफ करने वाला शख्श मरीज़ को देखने नहीं जा सकता। एतिकाफ के वक़्त इंसान किसी ज़नाज़े में भी शामिल नहीं हो सकता।

2. इतिकफ़ का तरीका औरतो के लिए

औरते  इतिकफ़ घर के किसी कमरे में कर सकती है या अपने पति की इजाज़त के साथ ऐसी मस्जिद जहा औरतें इबादत करती है, वह कर सकती है। जाना उनसे सिर्फ और सिर्फ अल्लाह की इबादत और ज़िक्र में डोबे रहना है।

घर के किसी अफराद से किसी तरह गुफ्तुगू नहीं करनी है। घर क कामों, जिम्मेदारियों  से खुद को दूर कर लेना है। सिर्फ अल्लाह के ख्याल, ज़िक्र, इबादत में खोये रहना है। जब नींद आये तो नींद पूरी करे सकते है, इस मई कोई मनाही नही है।


इतिकफ़ की मुद्दत

इतिकफ़ रमजान में ही किया जा सकता है| रमजान में किया गया इतिकफ़ अफ्ज़लियत रहता है। रमजान में किया हुआ एतिकाफ़ इसी माह के आखिरी १० दिन में करना सुन्नत है।

कही लोगो के मुताबिक – इतिकफ़ दिन भर के लिए भी किया जा सकता है और लम्बे दिनों तक भी किया जा सकता है। आप चाहें तो भी मस्जिद में जाए मस्जिद में दाखिल होने की दुआ पढ़ लीजिये, उसके बाद इतिकफ़ की निय्यत कर सकते है। चाहे आप कुछ देर के लिए ही जाए। नमाज़ पढ़ें कुरान पाक की तिलावत करें।

जितनी देर भी आप मस्जिद में रहे सिर्फ अल्लाह की इबादत करें अल्लाह का ज़िक्र। इससे इतिकफ़ का सवाब भी आपको मिलेगा। मस्जिद से बहार आते ही आपका इतिकफ़ ख़तम हो जायेगा। मगर 10 दिन का एतिकाफ़ सुन्नत है।


एतिकाफ़ की नीयत – Itikaf Ki Niyat

एतिकाफ़ की नीयत करते समय अगर आपको एतिकाफ़ की दुआ याद ना हो तो आप दिल से इरादा कर सकते हैं।

एतिकाफ़ की नीयत करने के लिए आपको एतिकाफ़ की दुआ को पढ़ना होता है।

एतिकाफ़ की नियत इस तरह से करें :

बिस्मिल्लाही दख़लतु व’अलैहि तवक्कलतु वनवयतू सुंनतुल इतिकाफ

“मैं अल्लाह के पाक नाम से मस्जिद में दाखिल हुआ हूँ और उसी पर विश्वास किया है और एतिकाफ़ की सुन्नत का इरादा किया है। ऐ अल्लाह हमारे लिए रहमत के दरवाज़े खोल दे।”


एतिकाफ़ की फजीलत – Itikaf Ki Fazeelat

हमने पढ़ा की एतिकाफ़ क्या होता है, एतिकाफ़ की नीयत कैसे करते है, एतिकाफ़ की दुआ क्या होती है , एतिकाफ़ के नियम क्या हैं। इतना सब कुछ एतिकाफ़ के बारे में पढ़ने के बाद अब हम आपको एतिकाफ़ के क्या-क्या फायदे हैं ये बतायेगे।

  1. आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया जो शख्स रमज़ान के आखिरी अशरे के 10 दिनओ का एतिकाफ़ करेगा तो उस शख्स को दो हज और दो उमराह करने का सवाब मिलेगा।
  2. पैगंबर हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि  वसल्लम ने फ़रमाया जो इंसान रमज़ान में एक दिन और एक रात एतिकाफ करे तो उस इंसान को 300 शहीदों का सवाब मिलेगा।
  3. जो शख्स एतिकाफ़ करता है वो तमाम गुनाहों से बचा रहता है और उसके अमाल में नेकिया बढ़ती जाती है।
  4. एतिकाफ़ करने वाले इंसान का हर पल इबादत में लिखा जाता है।

इतिकफ़ की शर्त
  1. मुसलमान होना।
  2. अक्ल बलिघ हो, लिहाज़ा बच्चे का इतिकफ़ नहीं होगा
  3. बदन पाक हो।
  4. इतिकफ़ के दौरान लडाई झगरा से बचना है| बलके सिवाए अल्लाह के किसी और चीज़ के बारे में सोचना भी नही है।
  5. बाज़ दफा दिल घबराने पर लोग एक जगह से दूसरी जगह बैठते है, आपको यह भी नहीं करना है।
  6. जा-इ-इतिकफ़ से उठाना भी नही है और वही बैठ कर अल्लाह की इबादत करनी है, अल्लाह के ख्याल में ज़िक्र में खुद को मसरूफ रखना है।
  7. मौजूदा वक़्त में सब की जिंदगी में मोबाइल का इस्तेमाल ज़रूरी हो गया है, लेकिन इतिकफ़ में इतिकफ़ करने वेक आदमी को मोबाइल से दुर रहना होगा। मोबाइल का इस्तेमाल बिलकुल नहीं करना है।

इतिकफ़ की किस्में

( यानि कितनी तरह के इतिकफ़ होते है। )

इतिकफ़ की तीन किस्में है :

  1. नफ्ली: यह वो इतिकफ़ है जो किसी वक़्त भी किसी भी मुद्दत तक मस्जिद में किया जा सकता है।
  2. रमजान के आखरी अश्रह में इतिकफ़ करना सुन्नत है, चुनांचे हर रमजान के आखरी अशर में इतिकफ़ किया करते थे।
  3. वाजिब: यह वो इतिकफ़ है जिसकी नज़र मणि जाए।

1. मन्नत का इतिकफ़ का तरीका

जिस तरह निफ्ली नमाज़, निफ्ली रोज़ा, निफ्ली हज, निफ्ली सदका वाघिरह की मन्नत मान ली जाए तो उसका पूरा करना वाजिब हो जाता है। इस तरह अगर कोई शख्स इतिकफ़ की मन्नत ले लो उस पर मन्नत पूरी करना वाजिब है।

2. इतिकफ़ के लिए रोज़े की शर्त

इतिकफ़ के लिए रोज़ा रखना शर्त नही लिहाज़ा अगर कोई शख्स रोज़ा नही रख सकता वो इतिकफ़ कसलें बघिर रोज़े के और जो शख्स रोज़ा रख सकता और वो रमजान में इतिकफ़ आकरे तो उस पर रमजान होने की वजह से राजा रखना फ़र्ज़ वाजिब इतिकफ़ यानि नज़र का इतिकफ़ तो उस में रोज़ा रखना फ़र्ज़ नहीं है।

अलबत्ता अगर नज़र मन्नत के वक़्त यह भी दिल में मन्नत हो के हो इतिकफ़ के साथ-साथ रोज़ा भी रखेंगी तो रोज़ा रखना वाजिब है। २० रमजान-उल-मुबारक की शाम को इतिकफ़ करने वाला मस्जिद में पहुच जाए| और अगले रोज़ सुबह फजर के बाद इतिकफ़ की जगह में दाखिल हो जाए।


इतिकफ़ में क्या करना चाहिए ?
  1. इतिकफ़ में पांच वक़्त नमाज़ सही वक़्त पर पढनी चहिये।
  2. अस्ताघ्फर कसरत से पढ़ सकते है।
  3. चाहें तो अल्लाह के 99 नामों को तर्जुमे के साथ याद कर सकते है।
  4. ज्यादा से ज्यादा से देर अल्लाह से दुआएं मांग सकते है।
  5. अल्लाह की हमद-ओ-सना पढ़ सकते है।
  6. कुरान-ए-करीम के जो सूरेह आपको याद नहीं उसे याद कर सकते है।
  7. रातों में उठ के टहज्जुस की नमाज़ पढ़ सकते है। अपने गुनाहों पर शर्मिंदगी ज़ाहिर कर अल्लाह तबारक वा ताला से अपनी मघ्फिरत की दुआ की जा सकती है।

FAQ’S:

Q1. तित्काफ़ की दुआ क्या है ?

उत्तर :- बिस्मिल्लहि दखत्लु व वा अलय्हि तवक्कल्तु वानवय्तु सुन्नतल इतिकाफ़।

Q2. क्या इतिकफ़ में 5 या 7 दिन बैठ सकते हैं ?

उत्तर :- इतिकफ़ ३ दिन से कम सही नही है और 3 दिन से जादा सही है।

Q3. क्या एह्तेलम का होने से इतिकफ़ टूट सकता है ?

उत्तर :- नहीं।

Q4. इतिकफ़ का सही वक्त कोन सा है ?

उत्तर :- इतिकफ़ का सही वक़्त वो है जब रोजा रखना सही हो।

Q5. क्या मरहूम की तरफ से इतिकफ़ कर सकते है ?

उत्तर :- हाँ कर सकते है।

Conclusion :- तो दोस्तों , हम उम्मीद करते है, कि आपको आज का हमारा यह आर्टिकल Itikaf karne ka tarika dua niyat aur fazeelat पसंद आया होगा। अगर पसंद आया है, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।


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