Maghfirat Ki Dua in Hindi – मगफिरत की दुआ हिंदी में

Maghfirat Ki Dua in Hindi :- मगफिरत का अर्थ और रमजान में मगफीरत

मगफिरत का मतलब मोक्ष होता है, अर्थात इस दूसरे अशरे में रोज़दार भूल में किए गए अपने सभी गुनाहों के लिए अल्लाह से माफ़ी मांगता है और दुआ करता है, कि वो इस गलती को कभी दोहराए ना।

रमजान के आखरी दस दिनों को तीसरा अशरा बोला जाता है। ताक रातों को  माफी की रात  भी कहा जाता है। ताक राते 21, 23, 25, 27 और 29 रोजो की शब के होती है। ‘ शब’ शब्द फारसी भाषा से लिया गया है, जिस का अर्थ रात होता है और बारात एक अरबी शब्द है जिस का अर्थ निजात यानी छुटकारा होता है।


मगफिरत की दुआ का क्या अर्थ है ? – Maghfirat Ki Dua in Hindi

ऐ अल्ला हमने अपना नुकसान अपने आप किया और अगर तू हमें माफ ना करेगा और हम पर रहम नहीं करेगा, तो हम बिल्कुल बेसहारा हो जाएगे। इसलिए ऐ अल्ला हमारी मदद क्र हमे सही रास्ता दिखा।


मय्यत की मगफिरत की दुआ करना कैसा है ?

जब किसी दूर के रिश्तेदार या फिर किसी खास शख्स जो मुस्लमान हो उसका इन्तेकाल हो जाए तो इस मय्यत की मगफिरत की दुआ ज़रूर किया करे।

इसकी हदीस फेह्कर इसका अजर ज़रूर कमाएं. मय्यत की मगफिरत करने वाला सिर्फ अल्लाह ताला ही है। अल्लाह चाहे तो मरने वाले की दर्जे बुलंद भी कर दे।


मय्यत की मगफिरत की दुआ हदीस में

कई हदीस ऐसी है, जिनमे हुजुर-ए-अकरम ने मरने वाले के लिए मगफिरत के लिए दुआ फरमाई और हदीस में ये भी बतलाया गया है, के मय्यत के लिए यानि जो इस दुनिया को छोढ़ कर चले गए है उनके लिए।

यानि उनके दरजात को बुलंद करने के लिए ये दुआ-ए-मगफिरत करना बड़ा ही फ़ज़ीलत भरा साबित होता है।


कुरान पाक की तिलावत ?

ऊपर हमने Maghfirat Ki Dua in Hindi के बारे में जाना, अब हम कुरान पाक की तिलावत ? के बारे में जानते है।

जो भी हम मुर्दे को सवाब पहुँचाने के लिए पढ़ा करते है। मिसाल के तौर पर कुरान-ए-पाक की तिलावत और बाकि आजकर जो भी हम मरने वाले के घरवाले या कोई भी पढ़ा करते है।

इस निय्यत से के मरने वाले को इसका सवाब पौंच जाए। इस बात का खुलासा नहीं हो पाया है, के यह सही है या नहीं। हाँ यह जरुरी है की अल्लाह अज्ज़वाजल अपने फजल-ओ-करम से उन कलम-इ-मुबारक और आजकर के पढ़ने की एवाज़ में मुर्दे की बख्शीश कर दे और कब्र से निजत भी दे दे।

जो बात सब से हम है, वो यह हे है, की आप को मरने वाले क लिए दुआ-इ-मगफिरत करते रहना कहिए।


माँ बाप की मगफिरत की दुआ

माँ बाप के हमारी जिंदगी में काफी एहसान है। हम अपने ज़िन्दगी में माता-पिता की भूमिका में माता-पिता के हमेशा आभारी रहेगे।

हमारे जन्म से ले कर हमारे अंतिम समय तक हमारे माता पिता ने हमारे साथ दिया है। पिता का दर्जा इस्लाम सबसे बड़ा दर्जा होता है। इसलिए हमें मां बाप के लिए मुख्य रखकर दुआ करते रहना चाहिए। अगर अगले चाहे तो हमारी दुआ कभी ना कभी कुबूल बोल जरूर होगी।


माता पिता के लिए कुरान में दुआ

“रब्बीर हम हुमा काम रब्बयानी सगीरा”

यदि अब तक हम अपने माता पिता को अपने क़र्ज़ अदा  नहीं कर पाए हैं, तो हमें अभी से ही हर दुआ  में ऐसा करने की आदत डाल देनी चाहिए।

अगर आपको मिल गई हैं तो उनके लिए मगफिरत की दुआ मांगे। अल्लाह हम सभी को इस पर अमल करने की क्षमता दे । आमीन अगर यह आपकी इच्छा रखता है, तो माता पिता का हमारी जिंदगी पर एहसान देखें।


माता पिता का एहसान अल्लाह का तोहफा है

दुनिया में करोरो रुपये की दौलत होते हुए भी एक माता की ममता को नही टोला जा सकता और ना ही खरीदा जा सकता हैं।

कहा जाता है की अल्लाह ने दुनिया में सब कुछ बदल दिया है, लेकिन माँ बाप जैसी कीमती चीज नहीं बदली है। लाखों लोगो के लिए अपने बूढ़े माता-पिता के शरीर भी सवाब कमाने का जरिया हैं। उनकी खूबसूरत बाते,  लंबे समय से चल रहे टेंशन को ख़तम कर सकती है । वे प्रेम भरी मुस्कराहट के साथ परेशानियों के आसपास की दिमागी अवेवस्था को दूर करते हैं।

पिता या कोई वालिद ऐसा ही अनुभव करते हैं। मान लें कि पिता और पुत्र के पास खाने के लिए केवल एक रोटी का टुकड़ा है और दोनों को उचित प्रकार से भूक लगी है और दोनों भूक से पीड़ित हैं।

अपने बेटे को भूख से पीड़ित देख के और  उस को दुरे  करने के लिए, पिता खुद क हिस्से का रोटी का टुकड़ा भी उसे खिलाएगा। ऐसे ही खुद को भूखा रखता है। इस वजह से दुनिया में माता पिता  जैसा कोई नहीं है।


हमारी जिंदगी में माँ का क्या एहसान

जब तुम उस के पेट में थे उस के दौरान एक महिला का जो दर्द होता है, उसे हर मां के लिए मौत के समय जैसा ही समझा जा सकता है।

दूसरे शब्दों में, उस समय अनुभव कया गया दर्द उस दर की तुलना किसी और दर्द से नहीं की जा सकती है, फिर भी एक महिला को अपने बच्चे को दुनिया में लाने के लिए इसे सहन करना पड़ता है। हमारी हर मां ने इस दर्द को समान कर पीड़ा का अनुभव किया है। सिर्फ हमारे लिए हर दुख से लड़े।


हमारी जिंदगी में पिता का एहसान

आज हमने अपने पिता को उनके बदले में जो कुछ दिया है उसका विषय काफी महत्वपूर्ण है। हमारे पिता को यह नहीं पता था कि हम दुनिया में अपनी सारी खुशियों को पूरा करने के लिए जरूरत को पूरा करने के लिए कैसे परिस्थितियों का सामना करते हैं।

क्या हमने कभी उनका नाम लिया और उनके लिए कभी अल्लाह के सामने उनका जीकर दुआ कि ? क्या हमने कभी अपने माँ बाप के सुकून के लिए अल्लाह से दुआ की है ?

क्या हमें  को उनकी माफी के लिए दुआ में अपने हाथ बढ़ाने चाहिए, क्या हमारी ज़िन्दगी  इबादत के बावजूद, हम उनसे एक मामूली रहम की भी हासिल करने में असमर्थ हैं ?


माता पिता के बारे में कुरान के फरमान में क्या लिखा है ?

कुरान के जरिये दिए गए अद्शे  के अनुसार, माँ बाप  को जिस्मानी रूप से स्वस्थ होने पर भी गलतियाँ करने से मन करते हुए भी अपने बढ़ते साल को गले लगाना पड़ता है।

जब वे गुजर जाते है, तो उनके लिए मगफिरत की दुआ पढ़ना शुरू करदे। अल्लाह ने फगफिरत की फरियाद करने का तरीका भी इस तरह से उतारा है।


Conclusion :- आप हमने आपको Maghfirat Ki Dua in Hindi के बारे में बताया, उम्मीद करते है, आपको हमारा यह लेख पसंद आया होगा, अगर पसंद आया है, तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे।


FAQ’S :

Q1. रमजान के माह को क्या कहा जाता है ?

उत्तर :- लोगो द्वारा रमजान क माह को कुरान-ए-पाक की दोस्ती का माह कहा जाता है। 
कियुके इसमें कुरान nazil hua tha.

Q2. रमजान kev दस दिन क समय को क्या कहा जाता है ?

उत्तर :- दस दिन क समय को एक अशरा कहा जाता है।

Q3. रमजान के महीने में कितने अशरे होते है ?

उत्तर :- रमजान क माह मई तिन अरसे होते है। पहेले अशरे को रहमत का अशरा कहा जाता है। 
दुसरे अशरे को मगफिरत का अशरा कहा जाता है और आखरी अशरे को तीसरा अशरा कहा जाता है।

Q4. इस अशरे के पहेले माह को क्या कहा जाता है और इस में क्या किया जाता है ?

उत्तर :- इस महीने क पहेले माह को रहमत का अशरा कहा जाता है, जिस में अल्लाह से दुआ मांगी जाती है।

Q5. रामदान के दुसरे अशरे में क्या किया जाता है और इसे क्या कहा जाता है ?

उत्तर :- रमज़ान के दूसरे अशरे को मगफिरत का अशरा कहा जाता है। मगफिरत का अर्थ है, 
मोक्ष मतलब इस दूसरे अशरे में रोज़दार जाने अनजाने में अपने किए गए सभी भूल की  अल्लाह 
से माफ़ी मांगता है और दुआ करता है, कि ऐसा अपराध दोबारा ना हो।

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