Qurbani Ki Dua In Hindi – क़ुरबानी की दुआ हिंदी में

Qurbani Ki Dua In Hindi :- क्या आपको क़ुरबानी की दुआ का तरीका पता है ? अगर नहीं तो, आज के इस आर्टिकल में हम इसी के बारे में विस्तारपूर्वक बात करने वाले है।

अगर आप भी क़ुरबनी की दुआ के बारे में जानना चाहते है, तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़े।


क़ुरबानी करने का तरीका – Qurbani Ki Dua In Hindi

  • तीन मर्तबा में आप जानवर को ज़बह करे।
  • जानवर की गर्दन में 4 नसे होती है, तीन का कटना ज़रूरी है।
  • नमाज़ जब पढ़कर आए तभी कुर्बानी करना अफ़ज़ल है पहले दिन कुर्बानी करना सारे दिन से अफ़ज़ल है
  • अपना पाव उसकी गर्दन पर रखें।

हलाल करने वाले जानवर को इस तरह लिटाये की उसका सिर बाए तरफ हो जाए और उसका पूरा जिस्म आपके सही दिशा में हो जाए कुर्बानी के जानवर का चेहरा किबले की तरफ हो जाए यानी हमारे देश के होश से पश्चिम की तरफ हो जाए।


कुर्बानी करने से पहले इन 5 बातों का रखें ध्यान

  • तीन मर्तबा में आप जानवर को ज़बह करदे।
  • जानवर की गर्दन में 4 नसे होती है तीन का कटना आवश्यक है।
  • नमाज़ जब पढ़कर आए तो कुर्बानी करना अफ़ज़ल है।
  • पहले दिन कुर्बानी करना पूरे दिन से अफ़ज़ल है।
  • अपना पाव उसके माथे पर रखें।

क़ुर्बानी 4 की दुआ – Qurbani Ki Dua In Hindi

  • सिर्फ़ बिस्मिल्लाह पढ़ना । सहीह बुखारी, हदीथ नंबर ए – 985
  • बिस्मिल्लाह वल्लाहुअकबर । सहिह मुस्लिम, हदीस नंबर -1966
  • बिस्मिल्लाह अल्लाहुम्मा तकाब्बल मिन्न फलाह फलाह । सहीह मुस्लिम हदीस नंबर -1967
  • इन्नी वज्जह्तु वज्हिया……. सुनन अबू दाऊद, हदीस नंबर -2795

क़ुर्बानी करने के बाद की दुआ

अगर आप क़ुरबानी खुद के लिए कर रहे हैं तो मिन्नी कहे और अगर किसी दुसरे शख्श की कर रहे हैं तो मिन्नी की जगह मिन फलाह बोले यानि उस इंसान का नाम ले। जैसे -: मिन माजिद, मिन अहमद।


कुर्बानी करने की फजिलत

हर मुसलमान जानता है कुर्बानी अलाह ताला के प्यारे नबी हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है । खास हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने अपने सपने में 2 से 3 दिन लगातार यह देखा कि वह अपने प्यारे बेटे जनाब हजरत इस्माइल अलैहिस्सलाम की कुर्बानी  अपने हाथ कर रहे हैं बाकी का वाकिया आप हमारी कुर्बानी की कहानी के आर्टिकल में पढ़ सकते हैं।


कुर्बानी किस पर वाजिब है ?

कुर्बानी हर उस औरत – मरद पर जरूरी है जिस पर जकात जरूरी और हर वो शख्श पर जो मालदार है कुर्बानी पैगम्बर एसए, दादी, दादी मां बाप भाई बहन का बेटा और फतह पर चला जाता है।


कुर्बानी के गोश्त को किन-किन लोगों में हिस्सा है ?

कुर्बानी के गोश्त को (जो भी इंसान के पास पैसे की इतनी कमी हो जाती है कि वो खुद के पैसे से कुर्बानी न कर सके तो) उस इंसान को देना जरूरी है। कुर्बानी के गोश्त को 3 हिस्सों में बाटा जाता है। एक हिस्सा खुद के लिए गोश्त के लिए, एक मौत के लिए और एक हिस्सा गरीब और मजबूर के लिए जो की कुर्बानी नहीं कर सकते।


बकरा ईद क्यों मनाई जाती है ?

बकरा ईद को इसलिए मनाया जाता है क्योंकि हजरत इब्राहिम ए. साहेब पाक की राह में अपने बेटे इस्माइल ए. सा की कुर्बानी दे रहे थे, लेकिन अल्लाह पाक ने उनका ईमान देखने को सिर्फ ये कहा था। अल् पाक ने इंसानों की कुर्बानी को छोड़ जानवर की कुर्बानी करने को बोलें।


क्या हम ईद के चौथे दिन कुर्बानी कर सकते हैं ?

बकरा ईद के चौथे दिन हम कुर्बानी नहीं कर सकते। ईद उल अज़ाहा में हर इंसान को तीन दिन तक ज़िबह करने का काम मिलता है।


कुर्बानी के गोश्त का क्या करना चाहिए ?

 जब वह अपने पहलू पर गिर जाए ( यानी जिबह मुम्ममल हो जाए ) तो उसे खुद भी खाओ और खिलाओ उनको जा सब्र किए बैठे हैं! और वे मी जो बेकरारी जाहिर करते हैं ! (यानी सवाल करते हैं ) इसी तरह हम ने उन जानवरों को योरं वरीयता में दिया है ताकि तुम शुक्र अदा करो! (सूरे हज)

इस आयत से आसानी से पशुओं से खुद का खाना जाइज़ और दुरुस्त है ! बल्कि अगर सारा गोश्त खुद ही रख ले तो यह सही हो सकता है ! लेकिन पसंदीदा नहीं ! उल्मा फरमाते हैं कि गोश्त के तीन हिस्से करने चाहिए!

एक अपने घर में रख दो ! दूसरी करीबी रिश्तेदारी तक्रसीम कर-दे ! और तीसरा हिस्सा  गरीब और कमजोर लोग कों दे दे! इस तरह एक कुरबानी से सिला रहमी और मसाकीन की इमदाद करते हैं जैसै अजीम फवाएद और नेकियां भी घटक हैं !

ख़ास में फ़र्माया कि गोश्त ज़रूर खाओ ! मगर साथ में अपने रब का शुक्र अदा करें ! ताकि नेमातों में मजीद इजाफा हो ! फिर यह भी देखें कि कितना ताक़तवर जानवर को आप कितनी आसानी से ज़िबह कर लेते हैं! यकीनन यह अल्लाह करीम ही की ज़ात है कि कौन जानवर उन पर क़बू दे दिया है ! इस लिए उसकी दिल से शुक्रवार शुक्र अदा करें।


कुर्बानी का जानवर कैसा हो

कैमल 5 साल, बैल 2 साल, भेड़-बकरी 1 साल की ! इससे उम्र कम हो तो कुर्बानी जायज़ नहीं ! हां अगर डंबा या भेड का 6 माह का बच्चा इतना बड़ा हो कि दूर से देखने में साल भर का हो जाता है !

तो उनकी कुर्बानी जैज़ है ! मगर याद रखना सिर्फ 6 महीने के दुंबे की कुर्बानी जाईज नहीं ! बल्कि उसका ‘इतना तगड़ा होना ज़रुरी है कि दूर से देखने में साल भर का लगे!

कुर्बानी का जानवर मोटा फ्रेश और बे’ऐब होना चाहिए। अगऱ थोड़ा सा ऐब हो तो कुर्बानी मकरूह होगा ! और ज्यादा ऐब हो तो कुर्बानी होगी ही नहीं।


FAQ’S :

Q1. कुर्बानी करने की दुआ क्या है ? – Qurbani Ki Dua In Hindi

उत्तर :- मतलब अल्लाहुम्मा तकब्बल मिन ( यहाँ जिसकी तरफ से क़ुरबानी हो उसका नाम ले 
जैसे- मिन कबीर, मिन नईम वगैरह ) कमा तकब्बलता मिन ख़लीलिक इबराहीमा अलैहिस्सलामु 
व हबीबिक मुहम्मदिन सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ! और अगर जानवर मुश्तरक 
( शिरकत की कुर्बानी ) हो।

Q2. कुर्बानी से पहले क्या करें ?

उत्तर :- बंदे को क़ुर्बानी करने वाले के रूप में गिना जाने के लिए, यह आवश्यक है, कि जानवर 
को निम्नलिखित नियमों के अनुसार ज़बह किया जाए: एक तेज चाकू से वध किया जाता है - कुंद 
चाकू अनावश्यक दर्द और पीड़ा दे सकता है। बलि के जानवर के सामने चाकुओं की धार तेज 
नहीं करनी चाहिए।

Q3. कुर्बानी का नियम क्या है ?

उत्तर :- इसमें नियम यह है कि कुर्बान किया जाने वाला बकरा एक दम तन्दुरूस्त और बगैर 
किसी ऐब का होना चाहिए। यानी उसके बदन के सारे हिस्से वैसे ही होने चाहिए जैसे खुदा ने 
बनाए हैं। सींग, दुम, पांव, आंख, कान वगैरा सब ठीक हो, पूरे हो और जानवर में किसी तरह 
की बीमारी भी न हो। कुर्बानी के जानवर की उम्र कम से कम एक साल हो।

Q4. कुर्बानी कैसे करना चाहिए ?

उत्तर :- अगर गैर क़िब्ला रुख पर ज़बह करलिया गया हो तो भी कोई हरज नहीं जिसकी तरफ़ 
से क़ुरबानी की जारही वो ख़ुद ज़बह करे अगर ख़ुद ज़बह करना मुश्किल हो तो कोई दूसरा भी 
ज़बह करसकता है। जब जानवर ज़बह करने लगे तो छुरी को तेज़ करलें ताके जानवर को 
ज़बह करते वक़्त कम से कम तकलीफ महसूस हो।

Q5. कुर्बानी का क्या हुक्म है ?

उत्तर :- इस्लामिक जानकार बताते हैं, कि ये अल्लाह का हुक्म था और हजरत इब्राहिम ने अपने 
प्यारे बेटे को कुर्बान करने का फैसला लिया. हजरत इब्राहिम ने अपनी आंखों पर पट्टी बांध ली 
और बेटे इस्माइल की गर्दन पर छुरी रख दी. लेकिन इस्माइल की जगह एक डुंबा आ गया।

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