Surah Baqarah Ki Aakhri 2 Ayat – सूरह अल बकरा की आखिरी दो आयत और उसकी फ़ज़ीलत

Surah Baqarah Ki Aakhri 2 Ayat :- ये कुरान मजीद मे 1-3 पारह तक मौजूद है और कुरान की सबसे बड़ी बाजार है, जिसे अल बकराः के नाम से लोग जानते हैं ये सूरत मदीना मनवरा में नाज़िल हुई। इस सूरत मे 286 आयते लिखी हुई है। इस सूरत के 4० रुके हैं।


सूरह अल बकरा की आखरी दो आयत – Surah Baqarah Ki Aakhri 2 Ayat In Arabic

ٱلرَّسُولُ بِمَآ أُنزِلَ إِلَيْهِ مِن رَّبِّهِۦ وَٱلْمُؤْمِنُونَ ۚ كُلٌّ ءَامَنَ بِٱللَّهِ وَمَلَٰٓئِكَتِهِۦ وَكُتُبِهِۦ وَرُسُلِهِۦ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِّن رُّسُلِهِۦ ۚ وَقَالُوا۟ سَمِعْنَا وَأَطَعْنَا ۖ غُفْرَانَكَ رَبَّنَا وَإِلَيْكَ ٱلْمَصِيرُ

286. لَا يُكَلِّفُ ٱللَّهُ نَفْسًا إِلَّا وُسْعَهَا ۚ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَعَلَيْهَا مَا ٱكْتَسَبَتْ ۗ رَبَّنَا لَا تُؤَاخِذْنَآ إِن نَّسِينَآ أَوْ أَخْطَأْنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تَحْمِلْ عَلَيْنَآ إِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُۥ عَلَى ٱلَّذِينَ مِن قَبْلِنَا ۚ رَبَّنَا وَلَا تُحَمِّلْنَا مَا لَا طَاقَةَ لَنَا بِهِۦ ۖ وَٱعْفُ عَنَّا وَٱغْفِرْ لَنَا وَٱرْحَمْنَآ ۚ أَنتَ مَوْلَىٰنَا فَٱنصُرْنَا عَلَى ٱلْقَوْمِ ٱلْكَٰفِرِينَ


Surah Baqarah Ki Aakhri 2 Ayat In Hindi

आ-म-नर्सूलु बिमा अन्ज़ि-ल इलैहि मिर्रब्बिही वल्मुअमिनू-न,कुल्लुन,आ-म-न बिल्लाहि व-म-लाइ कतिही व कुतुबिही वरूसूलिही ला नु-फ़र्रिक़ु बै-न अ-हदि-म्मिर्रूसुलिही वक़ालू समिअ्ना व-अ-तअ्ना गुफ़रा-न-क , रब्बना वइलै-कल् मसीर ०

ला यु-कल्लिफुल्लाहु नफ़-सन् इल्ला उस्-अ़हा , लहा मा क-स-बत् व अ़लैहा मक़-त-स-बत ,

रब्बना ला तुआख़िज़ना इन्नसी-ना औ अख़्-तअ्ना रब्बना वला तह्मिल् अ़लैना इस्-रन् कमा ह-मल्

तहू अ़-लल्लज़ी-न मिन् क़ब्लिना रब्बना वला   तु-हम्मिल्ना माला ता-क़-त लना बिही वअ्फु

अ़न्ना वग्फ़िर् लना वर्-हम्ना अन्त मौलाना फ़न्सुर्ना अ़-लल् क़ौमिल् काफ़िरीन ०


सूरह अल बकरा की आखरी दो आयत और उसकी फजीलत

यहां हम आपको इसके पढ़ने की हर तरह की फर्ज़ीलत बता रहे हैं, वो सब की सभी हदीसों से साबित होता है। इसके पढ़ने की फज़ीलत बहुत बड़ी-बड़ी है। जिनमे से हम आपको ( 6 ) सूरह बकराह की आखिरी आयत की फजीलत बताने वाले हैं। जिन्हे जानने के बाद आप इसे पढ़कर चिंता नहीं करेंगे।


हर शर से हिफाजत

हज़रत अब्दुल्लाह बिन मसूद रजि० से रिवायत है के रसूल अल्लाह सल्ल ० ने इरशाद फरमाया के सूरह बकरा की आखिरी 2 आयतें जो शख्स रात को पढ़ता है, तो ये दोनों इसके लिए काफी है।

काफी होने का मतलब ये है, के ये दोनों आयते हर शर और मिलने से इससे दूर हो जाते हैं या फिर रात भर और वाजाइफ रीडिंग से काफी हद तक यानी उस व्यक्ति को इसके पढ़ने पर और वजाइफ के बराबर सवाब मिलेगा। मतलब ये है, के हर जिन्नात और इंसान के शर से हिफाजत मे रखेगी। से हिफाजत


शैतान से हिफाजत

एक हदीस में लिखा है के सूरह बकराह की आखिरी 2 आयतें जिस घर में पढ़े तो 3 दिन तक शैतान उस घर के करीब नहीं जा सकते। ये भी इस सेक्टर की बड़ी फजीलत है।

तो आप भी इन दो छोटे सीन्स को याद करें और शैतानों से अपने घरों को बचाए। अल्लाह हर मुसलमान को शैतान और नफ़्स के शेर से बचाए।


नबी सल्ल० का फरमान

हज़रत उकबा बीमा रजि से आप सल्ल ० ने फरमाया के सूरा बक़राह की अख़री 2 आयतों को अहमियत दे रहे हैं, करो मैं इनहेअर्श को कई के नीचे से नीचे दिया गया हु। क्योंकि क्यूंकिमु से पहले कोई नबी नहीं दिया गया।


नूर की आयत

एक मर्ताबा हुज़ूर सल्ल० और हज़रत जिब्राइल अलै० बैठे हुए थे के आकाश से एक दम नाक की आवाज़ आई। हजरत जिब्राइल अलै० ने ऊपर को आंख उठाई और कहने लगे कि आकाश का ये दरवाजा खुला है जो आज तक कभी खुला नहीं था।

फिर उससे एक फ़रिश्ता उतरा उसने नबी सल्ल० से कहा, कि आप खुश हो जाइए क्योंकि आपको वो दो नूर दिए गए हैं। जो आप पहले किसी नबी को नहीं दिए गए थे। वो दो नूर सूरह फातिहा और सूरह बकराह की आखिरी 2 आयतें इनमे से एक-एक हरफ पर नूर दिया जाएगा।


सुरह बकरा पढने के फायदे
  • मुर्दा जंगलों को जिंदा करते हैं, जो शख्स सूरह बकरा की तिलावत करता है तो अल्ला उसके समूहों को रोशन कर देता है।
  • इसके पढ़ने से अल्ह निश्चित रूप से अता फरमाता है | ये आजमी हुई बात है।
  • इसके पढ़ने से अल्ह गब से रिजक अता फरमाता है और बिजनेस में बरकत अता फरमाता है।
  • जो शख्स इसका पाठ का मामूल बनाता है, तो अल्लाह ताला उसकी सारी मुश्किलों को आसान कर देता है, यह तमाम तरह की उलझनों से रूबरू कराती है।
  • इसके पढ़ने का अगर मामूल बना लें तो इनशाअल्लाह ये अपना असर जरूर दें लेकिन रोज़ाना पढ़ने पर और रात में पढ़ने की तो और भी ज़्यादा फ़ज़ीलत है।

FAQ’S :-

Q1. सूरह बकरा की क्या फजीलत है ?

उत्तर :- हजरत बुरैदा रदिअल्लहु अन्हु से रिवायत है, की हुज़ूर अकरम सल्लाहू अलैहि वसल्लम ने 
इरशाद फ़रमाया : सूरह बकरा सीखो की उसका हासिल करना बड़ी बरकत है, और उसको छोड़ 
देना और हासिल ना करना बड़ी हसरत की बात है . बातिल लोग यानि जादूगर उसकी ताब नहीं ला सकेंगे।

Q2. सूरह बकरा में कितनी आयत है ?

उत्तर :- सूरह अल बकरा की आखरी दो आयत और उसकी फजीलत अल बक़रा : क़ुरआन का अध्याय 
(सूरा) नंबर दो है, यह सूरह मदनी है, इस में 286 आयतें हैं।

Q3. सूरह बकराह का सारांश क्या है ?

उत्तर :- एक प्रमुख विषय मार्गदर्शन है: बुतपरस्तों ( अल-मुशरीकीन ) और मदीना के यहूदियों को इस्लाम 
अपनाने के लिए आग्रह करना, और उन्हें और उन पाखंडियों ( मुनाफिकुन ) को चेतावनी देना कि भगवान 
ने अतीत में उन लोगों का दौरा किया था जो उसकी पुकार पर ध्यान देने में विफल रहे थे।

Q4. कौन सा सूरह घर के लिए अच्छा है ?

उत्तर :- शैतान को घर से दूर रखने की एक और युक्ति परिवार के सदस्यों के लिए नियमित रूप से सूरह 
अल-बकराह का पाठ करना है। जैसा कि यह सूरा लंबा है, परिवार के सदस्य सूरह के पठन में वैकल्पिक 
रूप से कर सकते हैं। अल्लाह के रसूल ने कहा: “अपने घरों को कब्र मत बनाओ।

Q5. सूरह बकराह पढ़ने में कितना समय लगता है ?

उत्तर :- सूरा अल-बकराह में 286 आयतें हैं जो 48 पूर्ण पृष्ठों में फैली हुई हैं। पूरे सूरा को कंठस्थ करने वाले 
व्यक्ति को अपेक्षाकृत तेज गति से इसे पढ़ने में एक घंटे का समय लगता है। इस प्रकार कुरान के औसत 
पाठक को सूरा को पूरी तरह से पढ़ने के लिए डेढ़ से दो घंटे के बीच लगता है।

Conclusion :- तो दोस्तों , हम उम्मीद करते है, कि आपको आज का हमारा यह आर्टिकल Surah Baqarah Ki Aakhri 2 Ayat पसंद आया होगा। अगर पसंद आया है, तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरूर करे।


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